• icon+91 9889232409
  • iconinfo@stdpgcollege.com
  • iconS.T.D.P.G. College Sultanpur - UP

Sant Tulsi Das P.G. College

Baruwaripur, Kadipur, Uttar Pradesh 228145
Affiliated to Dr Ram Manohar Lohia Avadh University, Ayodhya , U. P.

About Founder

महाविद्यालय के संस्थापक कर्मयोगी पं0 रामकिशोर त्रिपाठी का संक्षिप्त जीवन वृत्त

कर्मयोगी पं0 किशोर त्रिपाठी जी का जन्म 05 अप्रैल सन् 1924 ई0 चैत्र राम नवमी के दिन ठठेरी बाजार सुलतानपुर में हुआ था। आपके पिता श्री देवदत्त त्रिपाठी धर्मनिष्ठ-कर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे तथा माता श्रीमती अभिराजी देवी स्वनाम धन्या गृहणी थी।

श्रीमती संवारी देवी पंण्डित जी की छायानुगामिनी पत्नी थी और आप की एक मात्र पुत्री श्रीमती हीरारानी जी हैं। वस्तुतः पण्डित जी का जीवनवृत्त शून्य से शिखर तक की यात्रा का जीवंत दस्तावेज है। उनका मंतव्य था - ’यहीं ’सिद्धि का अन्त नहीं है आगे ही बढ़ना है, नई दिशायें बुला रही हैं नये शिखर पर चढ़ना है।’ विभिन्न अभावों से जूझते हुये उन्होंने सत्यपथ का मार्ग कभी नहीं छोड़ा इसलिये उनकी जीवन यात्रा लोकमंगल के कर्मपथ से होती हुयी मानवता के समग्र विकास की यात्रा कही जा सकती है।

About

मनुष्य का परिष्कार करने वाले शिक्षा को उन्होंने सर्वजन सुलभ बनाने की दिशा में प्रसंशनीय उपक्रम किये, इसलिये उन्हें पूर्वाचल के ‘मालवीय’ की उपाधि से विभूषित किया गया है। उनका महाप्रयाण 16 फरवरी 2011 बारावफात् मो0 साहब के जन्मदिन पर हुआ था। इस प्रकार उनके अवतरण और निर्वाण की तिथियॉं भी समाज को एक समन्वयकारी संदेश प्रदान कर रही हैं।



स्मृतिशेष कर्मयोगी पंण्डित जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व जीवन में अनुकरणीय है एवं उनके व्यक्तित्व के प्रमुख आयाम निम्नवत् हैं-

• सन् 1943 में आर्य कुमार सभा का गठन।
• सन् 1945 में कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में असेम्बली का चुनाव जीते।
• 10 फरवरी सन् 1948 में सम्पन्न उ0प्र0 फारवर्ड ब्लाक के सुलतानपुर अधिवेशन में स्वागताध्यक्ष।
• 1957 में उ0प्र0 सरकार द्वारा जिला सहकारी बैक के संचालक मण्डल के सदस्य नामित हुये।
• सन् 1962 में सुलतानपुर आर्य समाज के मंत्री चुने गये तथा आर्य समाज मन्दिर का निर्माण कराया।
• सन् 1964 में रामलीला ट्रस्ट समिति सुलतानपुर के अध्यक्ष चुने गये, इसी कालावधि में आप द्वारा सन्त तुलसीदास जूनियर हाईस्कूल राम लीला मैदान की स्थापना की गयी।
• सन् 1968 में उ0प्र0 सरकार द्वारा जिला कोआपरेटिव बैंक के डायरेक्टर नामित किये गये।
• सन् 1972 में महात्मा गांधी जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर गांधी ज्ञान मन्दिर सीताकुण्ड सुलतानपुर की स्थापना।
• सन् 1973 में आप द्वारा मानस चतुश्शती के पुनीत पर्व पर सन्त तुलसीदास महाविद्यालय, कादीपुर की स्थपना की गयी।
• सन् 1974 में आपने ’तुलसी सत्संग भवन’ समिति ट्रस्ट की स्थापना की जिसके तत्वावधान में ’तुलसी तरू’ पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ।
• सन् 1978 में भूदान समिति सुलतानपुर के संयोजक नामित हुये।
• सन् 1994 में गांधी जी की 125 वीं जयन्ती पर महात्मां गांधी स्मारक महाविद्यालय कुरेेभार की स्थापना की।
• सन् 1999 में आचार्य विनोबाभावे महाविद्यालय छीड़ा की स्थापना की।
• गनपत सहाय महाविद्यालय सुलतानपुर के स्थापना वर्ष से ही आप संस्थापक एवं प्रबंधक रहे।
• सन् 1998 में सुलतानपुर में अमृत महोत्सव में आपका नागरिक अभिनन्दन किया गया।
• न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त ने आपको विशाल समारोह में ’कर्मयोगी’ की उपाधि प्रदान की।
• 1998 में ही उ0प्र0 के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रामप्रकाश गुप्त ने सुलतानपुर में पण्डित जी को सम्मानित किया।
• 1999 में आप के व्यक्तित्व पर केन्द्रित अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन/विमोचन/लोकार्पण सन्त तुलसीदास पी0जी0कालेज, कादीपुर में डॉ0 योगेन्द्र नारायण, प्रमुख सचिव, उ0प्र0 शासन द्वारा करके आपको सम्मानित किया गया।
• 1999 में ही कांची कामकोठि पीठ के शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी द्वारा आपको सम्मानित किया गया तथा विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल द्वारा विशिष्ट हिन्दु हित चिंतक प्रमाणपत्र देकर आपको सम्मानित किया गया।
• 2001 में उ0प्र0 के तत्कालीन राज्यपाल श्री विष्णुकान्त शास्त्री ने राम नरेश त्रिपाठी सभागार में समाजसेवा के लिये आपको सम्मानित किया।
• 2001-02 में रोटरी क्लब के तत्वाधान में आयोजित भव्य समारोह में आपको तत्कालीन डी0आई0जी0 एवं जिलाधिकारी ने सम्मानित किया।
• 2010 में प्रयाग में कुम्भ मेला प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का वृहद आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन न्यायमूर्ति श्री सुधीर नारायण अग्रवाल जी ने किया। इस अवसर पर डॉ0 विक्रमाजीत तिवारी पूर्व शिक्षा निदेशक, उच्च शिक्षा एवं रेवन्यू बोर्ड के मेम्बर तथा श्री प्रदीप तिवारी ए0डी0एम0 (मेलाधिकारी) ने आपको सम्मानित किया।
• 23 जनवरी 2018 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोष जी की जयन्ती के अवसर पर ’भारत-भारती’ संस्था ने आपकेे व्यक्तित्व एवं कृत्तव का मूल्यांकन करते हुये मरणोंपरान्त आपको ’सुलतानपुर रत्न’ से सम्मानित किया। इस सम्मान को कर्मयोगी पण्डित जी के प्रपौत्र एवं वर्तमान प्रबन्धक श्री सौरभ त्रिपाठी जी ने प्राप्त किया।


उपर्यूक्त क्रिया-कलापों के अतिरिक्त आर्य समाज और वेद के प्रति उनकी अटूट निष्ठा रही।
आचार्य विनोबा भावे के अनुज श्री राम विनय भाई द्वारा सुलतानपुर आगमन पर उनका भव्य स्वागत समारोह किये जाने पर प्रस्थान के समय उन्होने भी पण्डित जी को विशेषतः सम्मानित किया। इस प्रकार पूज्यपाद कीर्तिशेष, कर्मयोगी पंडित राम किशोर त्रिपाठी जी का सम्पूर्ण जीवन गीता के ’निष्काम कर्मयोग’ का जीवन्त रूप कहा जा सकता है जो भावी पीढ़ी एवं महाविद्यालय के छात्र-छा़त्राओं के लिये प्रेरणास्पद है।
01

Why Choose us

Lorem ipsum gravida nibh vel velit auctor aliquetn sollicitudirem quibibendum auci elit sollicitudirem quibibendum auci

02

Our Mission

Lorem ipsum gravida nibh vel velit auctor aliquetn sollicitudirem quibibendum auci elit sollicitudirem quibibendum auci

03

Our vission

Lorem ipsum gravida nibh vel velit auctor aliquetn sollicitudirem quibibendum auci elit sollicitudirem quibibendum auci